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इस स्वाद को वे ही जानते हैं, जो गांव जाते हैं।

स्वाद और सेहत का खजाना होता है ऐसा खाना..

अब हमारी लाइफ काफी हद तक टेक्नॉलजी पर आधारित हो गई है। वर्क प्लेस से लेकर घर की रसोई तक, हर तरफ हम गैजेट्स से घिरे रहते हैं। यह बदलाव मेट्रो सिटीज और महानगरों में ज्यादा देखने को मिलता है। हालांकि अब गांव भी इनके प्रभाव से अछूते नहीं रह गए हैं। मिट्टी के चूल्हे की जगह अब गैस, माइक्रोवेब , इंडक्शन आदि ने ले ली है। लेकिन मिट्टी से बने चूल्हे का स्वाद किसी खाने में नहीं…

इसका कोई विकल्प नहीं

हमारे पास मिट्टी के चूल्हे पर खाना ना बनाने के लिए कई और विकल्प मौजूद हैं। लेकिन जो स्वाद उस चूल्हे पर बने खाने में होता है, उसका कोई विकल्प नहीं।

जिसने खाया हो, वही जाने

मिट्टी के चूल्हे पर बना खाना कितना स्वादिष्ट होता है, इसे शब्दों में नहीं बताया जा सकता। क्योंकि स्वाद को चखा जाता है, महसूस किया जाता है। लेकिन जिन लोगों ने मिट्टी के चूल्हे पर बना खाना खा रखा है, वे इसके स्वाद को भलिभांती जानते हैं।

आर्गेनिक तरीके से आर्गेनिक खाने का लुफ्त लेते हुए ग्राम गुड़ियापदर के बच्चे।।

स्वाद रखता है बरकरार

मिट्टी के चूल्हे पर बने खाने में खाद्य पदार्थों का प्राकृतिक स्वाद बना रहता है। खासतौर पर अगर इस पर कुकिंग के दौरान मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाए। एक्सपर्ट्स भी इस बात को मानते हैं कि मिट्टी के बर्तनों में बना खाना ज्यादा न्यूट्रिशंस से भरपूर होता है। क्योंकि इन बर्तनों में सब्जी और अनाज को पर्याप्त नमी मिलती है, जो इनके अरोमा को बनाए रखती है।

केले के पत्ते में परोसा जाता है खाना

बना रहता है पोषण

मिट्टी के चूल्हे पर बनने वाले खाने पर लगातार तेज हीट नहीं पड़ती, धीमी आग पर धीरे-धीरे पकने से इस भोजन के पोषक तत्व बने रहते है। इनके मिनरल इंटैक्ट्स को भी हानि नहीं पहुंचती।

दाल पकाते रिपोर्टर उपेंद्र सिंह जी

 

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