मां लिंगेश्वरी की गुफा के पट खुलने का इंतजार क्षेत्रवासियों के साथ-साथ देश भर के अनेक ऐसे लोगों को रहता है, जो इस मंदिर के महात्म से परिचित हैं। ऐसी मान्यता है कि, माँ लिंगेश्वरी के दरबार में संतान की कामना के साथ ही अन्य भी कई प्रकार की कामनाओ को लेकर श्रद्धालु पहुंचते हैं। पढ़िए पूरी खबर…
न्यूज़ बस्तर की आवाज़@नारायणपुर/कोंडागांव जिले के फरसगांव ब्लाक मुख्यालय से पश्चिम दिशा की ओर 8 किलोमीटर दूर ग्राम झाटीबन आलोर की पहाड़ी पर स्तिथ है मां लिंगेश्चरी की गुफा। इस गुफा का द्वार साल में केवल एक बार ही खोला जाता है। इस साल भादो माह के शुक्ल पक्ष की 13 वीं तिथि यानी 27 सितंबर दिन बुधवार को यह द्वार खुलने वाला है। मां लिंगेश्वरी की गुफा के पट खुलने का इंतजार क्षेत्रवासियों के साथ-साथ देश भर के अनेक ऐसे लोगों को रहता है, जो इस मंदिर के महात्म से परिचित हैं। ऐसी मान्यता है कि, माँ लिंगेश्वरी के दरबार में संतान की कामना के साथ ही अन्य भी कई प्रकार की कामनाओ को लेकर श्रद्धालु पहुंचते हैं।
देवी-देवताओं की धार्मिक आस्था के लिए विश्व प्रसिद्ध बस्तर की खूबसूरत वादियों में ग्राम झाटीबन आलोर की पहाड़ियों के बीच एक गुफा में माँ लिंगेश्वरी विराजमान हैं। यहां हर साल हजारों की संख्या में स्थानीय भक्तो के साथ ही कई दूसरे प्रांतों से भी लोग संतान की मनोकामना के लिए माथा टेकने सपरिवार आते हैं। जिस दिन पट खुलेगा उस दिन समिति के सदस्य और पुजारी सुबह-सुबह मां लिंगेश्वरी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धालुओं को माँ लिंगेश्वरी के दर्शन गुफा के द्वार के पास से कराया जाता है। श्रद्धांलुओं के दर्शन पश्चात रात में गुफा के पट बंद कर दिये जाते हैं और श्रद्धांलुओं को माँ के दर्शन के लिए फिर से एक वर्ष का इंतजार करना पड़ता है।
क्षेत्र के माहौल को आंकने का अद्भुत सिस्टम
माँ लिंगेश्वरी सेवा समिति झाटी बन आलोर के मुताबिक हर साल द्वार बंद करने के दौरान गुफा के अंदर रेत बिछाई जाती है और द्वार खोलने पर बिछी हुई रेत में जो पद चिन्ह जिस दिशा की ओर दिखाई देते हैं वह उस क्षेत्र के विकास, सुख शांति, खुशहाली और भय, आतंक, विवाद आदि को दर्शाते हैं। जैसे गाय, हाथी, शैर के पद चिन्ह क्षेत्र के धन-धान्य और खुशहाली को दर्शाते हैं। वही तेंदुआ, बिल्ली, मनुष्य के पैरों के निशान वाद-विवाद, भय एवं आतंक को दर्शाते हैं।
पति-पत्नी को खाना होता है खीरे का प्रसाद
यहां सन्तान प्राप्ति के लिए भक्तों की ओर से खीरा माँ लिंगेश्वरी को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। पुजारी की ओर से पूजा-अर्चना के बाद संतान चाहने वाली महिला की झोली में प्रसाद के रूप में उसी खीरा को वापस दिया जाता है। उसी पहाड़ी पर बैठकर पति को अपने नाखूनों से खीरे के दो भाग करना होता है। फिर उसमें से एक भाग पति और दूसरा भाग पत्नी को खाना होता है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने वाले दंपती अवश्य संतान सुख को प्राप्त करते हैं।
सामाजिक समरसता की अद्भुत मिसाल
माँ लिंगेश्वरी मंदिर के पट खुलने के पहले से लेकर पट के बन्द होने तक सभी समाज के लोगों की अलग-अलग जिमेदारियां बंटी हुई हैं। यादव समाज मंदिर स्थल में पानी और सामग्री लाकर खीर और आटे का प्रसाद बनाकर चढाते हैं। वहीं माली फूल की व्यवस्था, कुम्हार समाज के द्वारा हंडी, दीया, धूप, आरती की व्यवस्था, अंधकुरी समाज का काम बाजा, मोहरी बजाना होता है। इसी तरह दूसरे समाज को भी अलग अलग जिम्मेदारी दी जाती है। समस्त समाजों के लोगों द्वारा अपने कार्यों का निर्वहन पूरी श्रद्धा पूर्वक किया जाता है, तभी माँ लिंगेश्वरी मेला सम्पूर्ण माना जाता है।
एक साल बाद खुल रहे पट, बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना
साल में एक दिन खुलने वाली माँ लिंगेश्वरी गुफा के द्वार में 2016 से 2019 तक 4 वर्षो में 3,690 श्रद्धांलुओं ने संतान की मनोकामना लेकर माथा टेका था। इनमें से 1,204 श्रद्धांलुओं की मनोकामना पूर्ण हो चुकी है। वहीं पिछले दो वर्षों से कोरोना महामारी के चलते गुफा के द्वार को भक्तों के लिए नहीं खोला गया था। पिछले वर्ष माँ लिंगेश्वरी का द्वार 7 सितम्बर खोला गया था, एवं इस वर्ष माँ लिंगेश्वरी का द्वार 27 सितंबर को खोला जाना है, जिसका निर्णय मंदिर सेवा समिति के सदस्यों द्वारा लिया गया। उस दिन श्रद्धालुओं के बड़ी संख्या में पहुंचने की सम्भावना है।
बस्तर के साथ साथ पूरे देश से श्रद्धालु आते है माता के दर्शन के लिए
आपको बता दें देवताओं की धार्मिक आस्था के लिए पूरे विश्व में प्रख्यात बस्तर की खूबसूरत वादियों में शिवलिंग के अवतार में माता लिंगेश्वरी विराजमान है जो ग्राम झाटीबन आलोर के पहाड़ों के बीच एक गुफा में मां लिंगेश्वरी विराजमान है, जहां हर वर्ष हजारों की संख्या में भक्त अलग-अलग राज्यों से मन्नत की कामना लिए दर्शन करने आते हैं। अधिकांश निसंतान दंपती संतान की प्राप्ति के लिए माता के दर्शन करने आते हैं । श्रद्धालुओं को माता लिंगेश्वरी मेला का बड़ी बेसबरी से इन्जार रहता है। जिसमे छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु अपनी मनोकामना लिए माता के दर्शन को पहुचते है।