यह सोचना कि पुरुषों में खून की कमी नहीं हो सकती, यह पूरी तरह गलत है। एनीमिया की जब भी बात होती है तो सारा फोकस महिलाओं पर आ जाता है। जबकि खून की कमी पुरुषों में भी हो सकती है। यहां तक कि एनीमिया की वजह से पुरुषों की फर्टिलिटी पर भी गंभीर असर पड़ता है।
पुरुषों में एनीमिया के कारण इन्फर्टिलिटी की समस्या हो सकती है। एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. रवि मेहरोत्रा ने बताया कि आयरन की कमी से टेस्टिकल्स टिश्यूज डैमेज होने लगते हैं। टेस्टिकल्स में सरटोली और लेडिग सेल्स होते हैं। इन सेल्स में ही फेर्रिटीन ब्लड प्रोटीन होती है जिससे स्पर्म बनते हैं। जब आयरन की कमी होती है तो स्पर्म काउंट कम होने लगता है। एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम्स भी घटने लगते हैं जिससे न स्पर्म ठीक से विकसित होते और न ही टेस्टीकुलर टिश्यूज मजबूत हो पाता है। आयरन की वजह से इजैक्यूलेशन की प्रक्रिया स्मूथ होती है और स्पर्म का pH मेंटेन रहता है।
भारत के गांवों में हर 10 में से 3 पुरुष एनीमिया के शिकार हैं। शहरी इलाकों में भी हर पांच में से 1 पुरुष को खून की कमी है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 में इसका खुलासा किया गया है। PLOS ग्लोबल पब्लिक हेल्थ जर्नल में भी इस शोध को प्रकाशित किया गया है।
शोध में 15 से 54 साल के 61,000 पुरुषों को शामिल किया गया और उनकी बॉडी में हीमोग्लोबिन कम मिला। दिलचस्प यह है कि शोधकर्ताओं ने इन्हें महिलाओं की तरह आयरन सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दी।
द लैंसेट पत्रिका में छपी रिपोर्ट की पुष्टि PLOS ने की है। हालांकि PLOS ने स्टडी को और विस्तार दिया है। शोध के लेखकों में से एक सुमित राम बताते हैं कि जो पुरुष अंडरवेट थे, वे ओवरवेट पुरुषों की तुलना में एनीमिया के अधिक शिकार मिले। जहां 34.7% अंडरवेट पुरुष एनीमिक थे, वहीं 19.3% ओवरवेट पुरुष ही एनीमिया के शिकार थे। अधिक उम्र के लोगों को भी एनीमिया से पीड़ित पाया गया।
महत्वपूर्ण बात यह कि जो पुरुष शराब और सिगरेट पी रहे थे, उनमें एनीमिया के लक्षण अधिक मिले। शराब और सिगरेट पीने से शरीर में खून की कमी कैसे होती है इस पर कई शोध हुए हैं।
द हेमैटोलॉजिकल कंप्लीकेशंस ऑफ अल्कोहलिज्म में हैरोल्ड एस बैलार्ड ने बताया है कि अल्कोहल के कारण हमारे शरीर के अलग-अलग तरह के ब्लड सेल्स और उसके फंक्शंस पर बुरा असर पड़ता है।
यदि कोई बहुत अधिक शराब पीता है तो ब्लड सेल्स का प्रोडक्शन कम होने लगता है। जो नए ब्लड सेल्स बनते हैं वो भी एब्नॉर्मल होते हैं।
एल्कोहलिक लोगों में बनती हैं खराब RBC
सेंट जॉन मेडिकल कॉलेज के फिजियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. अनुरा कुरपाद कहते हैं कि एल्कोहलिक लोगों में बार-बार डिफेक्टिव रेड ब्लड सेल्स बनते हैं जो समय से पहले नष्ट हो जाते हैं। ऐसा होने पर लोग एनीमिया से पीड़ित हो जाते हैं।
यही नहीं, वाइट ब्लड सेल्स के प्रोडक्शन और फंक्शन पर भी असर पड़ता है। चूंकि ये ब्लड सेल्स शरीर के लिए रक्षा कवच का भी काम करते हैं और बैक्टीरिया से होने वाले इंफेक्शन से बचाते हैं। जो एल्कोहलिक होते हैं वो बार-बार बैक्टीरिया के इंफेक्शन का शिकार होते हैं। अधिक मात्रा में अल्होहल लेने से प्लेटलेट्स और ब्लड क्लॉटिंग सिस्टम के दूसरे भागों पर असर पड़ता है। ऐसे में व्यक्ति एनीमिया से तो पीड़ित होता ही है उसे स्ट्रोक आने की आशंका भी बढ़ जाती है।
पेट में कीड़ों के कारण भी हो रही खून की कमी
सेंटर फॉर हेल्थ इनोवेशन एंड पॉलिसी फाउंडेशन, नोएडा के फाउंडर डॉ. रवि मेहरोत्रा बताते हैं कि एनीमिया के 90% मामलों में मुख्य कारण आयरन की कमी है। वहीं, 10 फीसदी मामलों में फोलेट, विटामिन B12 और विटामिन A की कमी जिम्मेदार होती है।
डॉ. मेहरोत्रा ने बताया कि महिलाओं में पीरियड्स के कारण आयरन की कमी हो जाती है जिससे उनमें एनीमिया होता है। लेकिन पुरुषों में पेट में कीड़े होना, शराब या सिगरेट पीने से एनीमिया हो सकता है।
पेट में कीड़े आयरन, फोलेट, विटामिन B12, प्रोटीन को खा जाते हैं। महिला हो या पुरुष दोनों में कीड़े पाए जाते हैं। महिलाओं में एनीमिया के घातक होने में यह बड़ा कारण होता है। उनकी डाइट में न्यूट्रिएंट्स भरपूर नहीं होते। ऐसे में जब वर्म इंफेक्शन होता है तो आयरन के साथ दूसरे न्यूट्रिएंट्स तेजी से कम हो जाते हैं। ऐसा होने पर रिस्क बढ़ जाता है। आयरन और प्रोटीन घटने पर मानसिक विकास तक प्रभावित होने लगता है।
रोज 250 एमएल खून चूस सकते हैं पेट के कीड़े
डॉ. मेहरोत्रा ने बताया कि पेट में कई तरह के कीड़े होते हैं जैसे टेपवर्म, पिनवर्म, हुकवर्म। लेकिन इनमें दो सबसे मुख्य हैं- एनसाइलोस्टोमा ड्यूडेनेल और स्टेरकोरालिस। एक कीड़ा हर दिन 0.1 से 0.4 एमएल तक खून चूस लेता है। अगर इंफेक्शन अधिक है तो कीड़े एक दिन में 250 एमएल तक खून चूस लेते हैं।
एक दिन में हजारों अंडे देती है फीमेल हुकवर्म
जिस व्यक्ति में वर्म इंफेक्शन होता है उसमें फीमेल हुकवर्म हजारोें अंडे दे सकती है। ये अंडे स्टूल के जरिए बाहर आते हैं और मिट्टी में पनपने लगते हैं। जब लार्वा में तब्दील होते हैं तो ये हमारी स्किन के रास्ते ब्लड में फिर प्रवेश कर जाते हैं। स्किन पर हुकवर्म का असर होते ही वहां खुजली होती है। ब्लड में आने पर ये हुकवर्म हार्ट, लंग्स और फिर आंतों में आ जाते हैं। आंतों में लार्वा एडल्ट स्टेज तक बढ़ता है। यह एक पूरी साइकिल है, जिसे हाइजीन मेनटेन करने और दवा से ही ठीक किया जा सकता है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार, देश में 67% बच्चों (6 महीने से 59 महीने तक) में एनीमिया है जबकि 57% महिलाएं एनीमिक हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि 15 से 49 वर्ष की उम्र में 25% पुरुष एनीमिक हैं। 2015-16 में 23% पुरुषों में एनीमिया था जो बढ़कर 25% हो गया है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 2015-16 में किया गया था, जबकि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5NFHS-5 2019-21 के बीच किया गया था। अलग-अलग राज्यों में 15 से 19 साल के कितने लड़के एनीमिया के शिकार हैं।
किसी भी रूप में ब्लीडिंग एनीमिया का कारण
इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज पटना के सर्जिकल गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि शरीर में कहीं भी ब्लीडिंग नियमित रूप से हो तो यह एनीमिया का कारण बन सकता है। भारत में पाइल्स पुरुषों में ब्लीडिंग का बड़ा कारण है।
50 की उम्र के 50% लोग किसी न किसी रूप में पाइल्स से पीड़ित हैं। स्टेज 1 और 2 हेमोराइड्स से परेशानी नहीं होती। लेकिन जब यह स्टेज 3 और 4 में पहुंचता है तो रेक्टम में ब्लीडिंग होने लगती है। जब ब्लीडिंग बहुत अधिक हो तो एनीमिया का रूप ले लेता है।
‘स्टेइंग हेल्दी इन मॉडर्न इंडिया’ की लेखिका डॉ. गीता मथाई बताती हैं कि केवल पाइल्स ही नहीं, दूसरी बीमारियों के कारण भी एनीमिया हो सकता है। जैसे-फिस्टुला, फिजर्स, लिवर इंफेक्शन, ब्लड डिसऑर्डर, कैंसर से भी ब्लीडिंग हो सकती है। अगर हर कुछ अंतराल पर ब्लीडिंग हो इससे आयरन की कमी होती है और यह एनीमिया का कारण बनता है।
डॉ. मथाई के मुताबिक हरी सब्जियों पर वर्म के अंडे चिपके होते हैं। कई बार लोग ठीक से धोये बिना सब्जियां खा लेते हैं। तब इन वर्म के अंडे पेट में चले जाते हैं और फिर लंबे समय तक बढ़ते रहते हैं।
एनीमिया एक गंभीर स्थिति है जिसमें शरीर में खून की कमी हो जाती है। अगर खानपान में न्यूट्रिशन का ध्यान रखा जाए तो इस ब्लड डिसऑर्डर से बचा सकता है। इस मिथ से बाहर निकलने की जरूरत है कि पुरुषों को एनीमिया नहीं होता। जिनकी डाइट में सही न्यूट्रिशन नहीं है उन्हें आयरन सप्लीमेंट लेना चाहिए। एक निश्चित अंतराल पर चेक कराना चाहिए कि विटामिन B कॉम्प्लेक्स और फॉलिक एसिड की कितनी मात्रा शरीर में है। इन उपायों से हम एनीमिया से बच सकेंगे।