डॉ. अंबेडकर के बौद्धिक चिंतन पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन
नारायणपुर,13 अप्रैल 2025 शनिवार को महिला महाविद्यालय में भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर के बौद्धिक एवं सामाजिक चिंतन पर केंद्रित एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य डॉ. अंबेडकर के विचारों को जनमानस तक पहुंचाना तथा युवाओं को उनके संघर्षों और आदर्शों से प्रेरित करना था।
संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के रूप में ऊर्जावान सामाजिक कार्यकर्ता मोरध्वज दास मानिकपुरी, वरिष्ठ उद्घोषक नारायण साहू, सामाजिक कार्यकर्ता नवीन जैन तथा जिले के 14 समाज प्रमुख उपस्थित रहे। सभी अतिथियों ने डॉ. अंबेडकर के सामाजिक सुधारों, संघर्षों और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान पर विस्तार से चर्चा की। मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ. संजीव वशिष्ठ ने अपने वक्तव्य में कहा कि डॉ. अंबेडकर एक दूरदर्शी और प्रखर व्यक्तित्व थे। उन्होंने समाज में समरसता और समानता की अलख जगाई। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने संविधान के माध्यम से महिलाओं को उनके अधिकारों का संरक्षित स्थान दिया, हमें उनसे राष्ट्र प्रेम की भावना सीखनी चाहिए। मुख्य वक्ता श्री ऋषिकेश ठाकुर ने बताया कि डॉ. अंबेडकर ने समाज के सबसे निचले स्तर से संघर्ष करते हुए शिखर तक का सफर तय किया। उनके चिंतन का केंद्र बिंदु समाज के सभी वर्ग—छात्र, महिलाएं, किसान, दलित एवं व्यवसायी थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. योगेंद्र कुमार ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे डॉ. अंबेडकर के जीवन से प्रेरणा लेकर सदैव सकारात्मक सोच रखें। उन्होंने कहा, “शिक्षा वह शेरनी का दूध है, जो जितना पिएगा उतना दहाड़ेगा” यह कथन आज भी प्रासंगिक है। मंच संचालन डंकेश्वर बर्मन ने किया। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर जातिविहीन समाज की परिकल्पना करते थे और वे किसी विशेष जाति के नहीं, बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र के निर्माता थे।
इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। प्रमुख रूप से डॉ. मिंटू कुमार गौतम, किशोर कुमार कोठारी, निहारिका सोरी, डॉ. क्षमा ठाकुर, भूमिका पिस्दा, शंकर वैद्य, नितेश सोनकर, नोहर राम साहू, भूषण जय गोयल तथा दुलेश्वरी कंडरा की उपस्थिति थे।