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माओवाद की काली छाया से मुक्ति चाहता है बस्तर

*बस्तर आज रो पड़ा-उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा

*बस्तर शांति समिति द्वारा जगदलपुर में “लोकतंत्र बनाम माओवाद” कार्यक्रम

जगदलपुर, 3 जून 2024/ हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए, अब हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए। दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों को बस्तर के लिए सामयिक बताते हुए उप-मुख्यमंत्री व गृह मंत्री विजय शर्मा ने बस्तर के लोगों विशेषकर युवाओं से आह्वान किया कि जवानी क्रांति के लिए होती है, बस्तर के नौजवान, स्कूल कॉलेज के स्टूडेंट्स बस्तर को बचालें।


उप-मुख्यमंत्री विजय शर्मा आज बस्तर शांति समिति द्वारा जगदलपुर के श्यामा प्रसाद मुखर्जी टाउन हॉल में आयोजित “लोकतंत्र बनाम माओवाद” कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप बोल रहे थे। अध्यक्षीय उद्बोधन देते समय वन मंत्री केदार कश्यप जी बहुत भावुक हो गए थे, जिसका उल्लेख करते हुए विजय शर्मा ने कहा कि आज सिर्फ केदार जी नहीं रोये, पूरा बस्तर रो रहा है। बस्तर नक्सलवाद की काली छाया से अब मुक्ति चाहता है। नई क्रांति चाहता है।

बहुत स्पष्टता से बस्तर कह रहा कि गनतंत्र नहीं, जनतंत्र चाहिए, बुलेट नहीं, बैलेट चाहिए। यहां के हमारे युवा साथियों से अपील है कि आप इसमें अपना योगदान करें, आप सोशल मीडिया के माध्यम से भी सीमा पर तैनात एक सैनिक की तरह अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। गृह मंत्री विजय शर्मा ने सवाल उठाया कि बस्तर के जंगलों में बंदूक पकड़कर क्यों घूमा जा रहा है? उन्होंने कहा कि, मैं नौजवानों से यह जानना चाहता हूं कि बस्तर के गांवों में सड़क, पानी, बिजली, स्कूल, अस्पताल, आंगनबाड़ी, मोबाइल टॉवर नहीं होना चाहिए क्या। क्यों सड़क, पुल पुलिया बनाने से रोक दिया जाता है? कहते हैं यहां से खोदाई कर खनिज ले जाएंगे। अभी खुदाई नहीं हो रही है क्या? और हर गांव में खोदाई होगी क्या?

जहां खनिज है वहां खोदाई होगी और प्रधानमंत्री मोदी ने डीएमएफ बना दिया है, खोदाई होगी उसका पैसा यहीं इन्वेस्ट होगा, उसे कोई नहीं ले जा सकेगा। कॉरपोरेट कॉरपोरेट किया जाता है, चीन में कॉरपोरेट नहीं हैं क्या? यहां तो कोई इंडस्ट्री लगती है तो पहले जन सुनवाई होती है, और गांव वालों ने पसंद नहीं किया तो कितनी ही इंडस्ट्री वापस चली गईं। यहां सुनवाई का अवसर है, जहां माओवाद है वहां सुनवाई का कोई अवसर नहीं होता। यहां मजदूर मजदूरी के लिए आंदोलन कर सकते हैं, यहां लोकतंत्र है, क्या चीन में कोई आंदोलन हो सकता है। 1989 में वहां के छात्रों ने लोकतंत्र के लिए आवाज उठाई थी, बीजिंग का थ्येन आनमन चौक पर एकत्र होकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हुए लोकतंत्र की मांग कर रहे छात्रों और नागरिकों पर 4 जून 1989 को चीनी सैनिकों ने क्रूरतापूर्वक गोलीबारी की थी। यहां लोकतंत्र है, स्वतंत्रता है। विजय शर्मा ने कहा कि मोदी सरकार ने अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे राजद्रोह कानून को बदल दिया।

पहले राष्ट्र को खंडित करने वाली बात बोल सकते थे, राजा या नेता के खिलाफ नहीं। अब किसी भी नेता के खिलाफ तो बोल सकते हैं, लेकिन कोई भी व्यक्ति राष्ट्र को खंडित करने वाली बात करेगा तो नहीं सुना जाएगा। विजय शर्मा ने कहा कि आज सब लोकतंत्र चाहते हैं, जिसमें हम सब खुलकर सांस ले सकते हैं, अपनी बात कह सकते हैं, ऐसे में लोकतंत्र की सुरक्षा की जिम्मेवारी भी हमारी है। विजय शर्मा ने यह भी कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संकल्प लिया था कि धारा 370 खत्म करेंगे तो कर दिया, उनका संकल्प है कि 3 साल में यहां से नक्सलवाद समाप्त कर देंगे। विष्णुदेव सरकार भी इस दिशा में तेजी से काम कर रही है। सरकार ऑपरेशन नहीं चाहती, बातचीत से मसला हल करना चाहती है, क्योंकि जो भटके हुए लोग हैं उनमें 75 प्रतिशत से छत्तीसगढ़ के स्थानीय हैं, हमारे अपने हैं। लेकिन नहीं माने तो सख्ती होगी, क्योंकि हम सब चाहते हैं कि बस्तर से नक्सलवाद की काली छाया दूर होनी चाहिए।

नक्सलवाद पर बोलते हुए भावुक हुए केदार कश्यप जी

अपना अध्यक्षीय उद्बोधन करते समय कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद बस्तर के लिए एक दंश है। मेरी तो रूह कांप जाती है, जब मैं अपनी जहन में उन नक्सल घटनाओं को सोचता हूं, जिसमें नक्सलियों ने निर्मम और क्रूरतापूर्वक हमारे कई जवानों और सलवा जुडूम के लोगों को मारा।

भारत ने चीन को शांति का धर्म दिया, उसके बदले चीन ने भारत को कम्युनिस्ट विचारधारा दी, जिससे बस्तर में माओवाद पनपा। मैं उन शहीद और पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनके परिवार के साहस को प्रणाम करता हूं, जिन्होंने इतनी बड़ी विपत्ति का सामना बड़े ही साहस के साथ किया। कश्यप ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की “नियद नेल्लानार” योजना नक्सल प्रभावित क्षेत्र में वरदान साबित हो रही है।


कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सुविख्यात लेखक राजीव रंजन प्रसाद थे। उन्होंने “लोकतंत्र बनाम माओवाद – थ्येन आनमन की विरासत का बोझ” विषय पर गहनता से और विस्तार पूर्वक बातें रखीं। उन्होंने ऐतिहासिक तथ्यों के साथ माओवाद के खतरे के प्रति समाज को आगाह किया। उन्होंने चीन में माओवाद के नाम पर हुए कत्लेआम, बीजिंग के थ्येन आनमन चौक पर शांति पूर्ण तरीके से लोकतंत्र की मांग करते एकत्र हुए हजारों छात्रों और नागरिकों पर चीनी सैनिकों द्वारा टैंकों से गोलाबारी कराए जाने की निर्मम घटना को सविस्तार बताया। उन निर्मम हिंसक विचारों से प्रेरित माओवादियों से बस्तर के भोले भाले लोगों को बचाने, बस्तर में शांति और विकास पर जोर दिया। इस अवसर पर आयोजन समिति के अध्यक्ष दशरथ कश्यप जी, राजाराम तोड़ेंम एवं गोपाल नाग, महापौर सफीरा साहू, संजय पाण्डेय, विकास मरकाम , समाजसेवी किशोर पारेख, चेंबर के अध्यक्ष मनीष शर्मा सहित बड़ी संख्या में शिक्षाविद, अधिवक्ता, चिकित्सक, इंजीनियर, कॉलेज के छात्र-छात्राएं, महिलाएं एवं प्रबुद्धजन मौजूद थे।

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