कबीरपंथी जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के पावन सानिध्य में आगामी 2 से 4 जून को तीन दिवसीय कबीर साहेब जी के प्रकट दिवस महोत्सव को लेकर जगदलपुर शहर में विशाल शोभायात्रा निकाली गई, कबीर साहेब जी का प्रकट दिवस नेपाल सहित भारत के दस सतलोक आश्रम में मनाया जाएगा जिसमें शुद्ध देसी घी के भंडारे होंगे जिसमें समूचे विश्व को आमंत्रण किया गया है इसी जानकारी को आमजन में प्रसारित करने हेतु यह शोभायात्रा निकाली गई। शहर में स्थित आकाशवाणी टावर तेलीमारिंगा से रवाना होकर शहर के विभिन्न मार्गो बी–आर कोल्ड स्टोरेज,पल्ली नाका,अग्रसेन चौक, कुम्हार पारा,माडिया चौक से पुराना बस स्टैण्ड,संजय मार्केट से होते हुए गीदम रोड से वापस तेलीमारेंगा तक निकाली गई इस सबसे बड़ी शोभायात्रा में हजारों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचे आसपास के निकटतम दंतेवाड़ा,
सुकमा,कांकेर,कोंडागांव(बस्तर संभाग) के सभी जिलों से भी काफी संख्या में संतरामपाल जी महाराज के अनुयायियों ने हिस्सा लिया। इस शोभायात्रा के माध्यम से नगर वासियों को नशे से बचने का संदेश दिया गया और अध्यात्मिक ज्ञान और कबीर साहेब जी के पवित्र आदर्शो का प्रचार किया गया ताकि मानव अपने जीवन में बुराईयों से बचकर अच्छा जीवन जीये और अपने मनुष्य जीवन का लाभ सतगुरु शरण में आकर प्राप्त कर सके, वर्तमान में एकमात्र संत संत रामपाल जी महाराज जो अपने सत्संगों के माध्यम से समाज में फैली बुराईयों और कुरीतियां जैसे दहेज प्रथा को समाप्त करना, नशे को जड़ से खत्म करना, समाज से पाखंडवाद को हटाना ताकि हमारा समाज स्वच्छ और स्वस्थ हो और सतभक्ति से अपने आप को बदले, संत रामपाल जी महाराज ये भी वेदों से प्रमाणित करके बताते हैं कि कबीर साहेब जी ही सृष्टि के जनक है जो किसी मां के गर्भ से जन्मते नहीं है। वो तो कमल के फूल पर प्रकट होते हैं और लीलामयी जीवन से लोगो के कष्ट हरते हैं और अपने आप को छुपाकर ज्ञान से दुनिया का मार्ग प्रशस्त करते हैं।कबीर परमेश्वर जी चारों युगों में आते हैं। सतयुग में सतसुकृत, त्रेतायुग में मुनींद्र नाम से द्वापरयुग करुणामय नाम से और कलयुग में अपने वास्तविक नाम कबीर परमेश्वर (कबीर साहेब) के नाम से प्रकट होते हैं।इस अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य संयोजक भगत दुष्यंत साहू ,संभागीय संयोजक शंकर ताती,जिला संयोजक गणपत सेठिया ने बताया कि आज के दिन जगदलपुर(छत्तीसगढ़) सहित देश के अनेकों शहरों में शोभायात्रा का आयोजन कर भक्ति मुक्ति का संदेश दिया गया।