प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं ठप होने के कगार पर
जिले के 245 स्वास्थ्यकर्मी प्रदेश स्तरीय आह्वान पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) कर्मचारी 18 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे।
इस दौरान आपातकालीन सेवाएं भी पूरी तरह बंद रहेंगी।
कलेक्टर, सीएमएचओ, सीएस व बीएमओ सहित संबंधित अधिकारियों को आंदोलन की लिखित सूचना दे दी गई है।
नारायनपुर जिले के 245 कर्मचारी एवं प्रदेशभर के 16,000 हजार से ज्यादा एनएचएम कर्मचारी
इस आंदोलन में शामिल होंगे।
नारायणपुर :- छत्तीसगढ़ प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ के बैनर तले आयोजित इस आंदोलन की जानकारी प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अमित कुमार मिरी, प्रदेश महासचिव कौशलेश तिवारी, जिलाध्यक्ष प्रदीप देवांगन, महेश्वरी साहू, छत्रपाल साहू एवं डॉ कुंवर उसेंडी एवम अन्य सक्रिय सदस्य ने संयुक्त रूप से दी।
उन्होंने कहा कि सरकार की बेरुखी और अड़ियल रवैये से आक्रोशित होकर इस बार कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय लिया है।
15 अगस्त तक सरकार की ओर से हमारी 10 सूत्रीय मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लिया गया हैं, जिसके चलते अब 18 अगस्त 2025 से प्रदेशभर के 16,000 से अधिक कर्मचारी कामबंद, कलमबंद हड़ताल करेंगे।
इस बार संघ ने विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई (SNCU) समेत सभी आपातकालीन सेवाओं को भी बंद रखने का कठोर निर्णय लिया है। शासन को इसकी पूर्व सूचना पहले ही दे दी गई है।
एनएचएम कर्मचारियों की 10 प्रमुख मांगे :
1. संविलियन/स्थायीकरण
2. पब्लिक हेल्थ कैडर की स्थापना
3. ग्रेड पे का निर्धारण
4. कार्य मूल्यांकन प्रणाली में पारदर्शिता
5. लंबित 27% वेतन वृद्धि
6. नियमित भर्ती में एनएचएम कर्मचारियों के लिए आरक्षण
7. अनुकम्पा नियुक्ति
8. मेडिकल व अन्य अवकाश की सुविधा
9. स्थानांतरण नीति
10. न्यूनतम ₹10 लाख का कैशलेस चिकित्सा बीमा
20 वर्षों की सेवा के बाद भी उपेक्षा:
एनएचएम कर्मचारी पिछले 20 वर्षों से प्रदेश के सुदूर अंचलों से लेकर प्रमुख शासकीय संस्थानों तक स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ बने हुए हैं।
कोविड-19 जैसी महामारी में भी इनकी भूमिका अतुलनीय रही है।
इसके बावजूद आज भी इन्हें मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा गया है, जबकि अन्य राज्यों में इसी मिशन के कर्मचारियों को बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं।
राजनीतिक समर्थन और अब की अनदेखी:
संघ के जिलाध्यक्ष प्रदीप देवांगन ने बताया कि मौजूदा सरकार के कई वरिष्ठ नेता –
जैसे विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उपमुख्यमंत्री अरुण साव, विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी, वन मंत्री केदार कश्यप एवं अन्य – बड़े नेताओं ने पूर्व में एनएचएम कर्मचारियों के मंचों पर आकर खुले समर्थन का आश्वासन देते रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के चुनावी घोषणा पत्र 2023 में “मोदी की गारंटी” में भी नियमितीकरण का वादा किया गया हैं।
लेकिन इस सरकार के विगत 20 माह में 160 से अधिक बार ज्ञापन व आवेदन देने के बाद भी कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया।
चेतावनी:
अब कर्मचारी आंदोलन के लिए बाध्य हैं।
18 अगस्त से यदि सरकार तत्काल संवाद स्थापित कर हमारी जायज़ मांगों पर निर्णय नहीं लेती है, तो प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से बेपटरी हो जाएंगी, जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।