22 जून से 5 जुलाई तक अनसर काल में प्रभु जगन्नाथ के नहीं होगें दर्शन
जगदलपुर, 22 जून। रियासत कालीन बस्तर गोंचा पर्व 2024 में देवस्नान पूर्णिमा चंदन जात्रा पूजा विधान 22 जून को शुभ मुहर्त में प्रात: 09.30 बजे से प्रारंभ हुआ। 360 घर आरयक ब्राह्मण समाज के ब्राह्मणों द्वारा इंद्रावती नदी के पवित्र जल की पूजा उपरांत 108 नये मिट्टी के पात्र में लाकर शताब्दियों पुरानी परंपरानुसार भगवान शालीग्राम का पंचामृत,चंदन एवं इंद्रावती नदी के पवित्र जल से अभिषेक कर विधि विधान से पूजा संपन्न किया गया।
तत्पश्चात प्रभु जगन्नाथ स्वामी, माता सुभद्रा एवं बलभद्र के विग्रहों का देवस्नान चंदन जात्रा पूजा विधान संपन्न किया जाकर भगवान के 22 विग्रहों को मुक्ति मंडप में स्थापित किया किया गया। प्रभु जगन्नाथ स्वामी, माता सुभद्रा एवं बलभद्र के विग्रहों को मुक्ति मंडप में स्थापित किये जाने के साथ ही भगवान का अनसर काल प्रारंभ होकर 5 जुलाई तक जारी रहेगा,
इस दौरान दर्शन वर्जित होगा, 06 जून नेत्रोत्सव पूजा विधान के साथ प्रभु जगन्नाथ स्वामी, माता सुभद्रा एवं बलभद्र के दर्शन लाभ श्रद्धालुओं को श्रीमंदिर के बाहर होगें। 360 घर आरयक ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष ईश्वर नाथ खबारी ने बताया कि बस्तर गोंचा पर्व के 616 वर्षो की ऐतिहासिक रियासत कालीन परपरानुसार समस्त पूजा विधान संपन्न किये जायेगें, जिसकी पूरी तैयारी कर ली गई है
, 06 जुलाई को नेत्रोउत्सव पूजा विधान के साथ प्रभु जगन्नाथ के दर्शन होंगे, 07 जुलाई को श्रीगोंचा रथ यात्रा पूजा विधान के साथ ही प्रभु जगन्नाथ स्वामी जनकपुरी सिरहासार भवन में नौ दिनों तक श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ स्थापित होगें,
इस दौरान समस्त श्रद्धालुओं को पुण्यलाभ का पावन अवसर प्राप्त होगा। इस दौरान समाज के पाणिग्राही राधाकांत पाणिग्राही, समाज के पाढ़ी उमाशंकर पाढ़ी, बस्तर गोंचा महापर्व समिति के अध्यक्ष विवेक पांडे, रविंद्र पांडे, सुदर्शन पाणिग्राही, आमाराम जोशी, अंनत प्रसाद पांडे, नरेंद्र पाणिग्राही सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे