अभाविप बस्तर जिला संयोजक वरुण साहनी ने परीक्षा परिणाम पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय का परीक्षा परिणाम 30% से भी कम आना आगामी भविष्य के लिए बेहद निराशाजनक है ।
घोषित परीक्षा परिणाम से छात्रों में व्यापक आक्रोश है एवं उनका मनोबल को प्रभावित करने वाला है ।
राज्य सरकार के लचर शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि आज महाविद्यालयों में नियमित प्रोफेसरों की कमी है, नियमित प्राचार्य नही है ,सरकार आज नए शिक्षा संस्थान खोल रही है किंतु उन संस्थानों को सुचारू रूप से संचालन के लिए पर्याप्त संसाधन की व्यवस्था करने में सक्षम नही है जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है ,सरकार सीधे तौर पर विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है । जिससे विद्यार्थियों में पढ़ाई को लेकर शंका एवं भय का माहौल निर्माण हो रहा है ।
आज प्रदेश की सरकार अंग्रेजी महाविद्यालय का ख्वाब दिखा रही है किन्तु सरकार हिंदी महाविद्यालयों में व्यवस्था करने में असफल रही है जो कि सरकार की विद्यार्थियों के प्रति संवेदनहीनता को प्रदर्शित कर रही है सरकार विद्यार्थियों को सिर्फ और सिर्फ लॉलीपॉप पकड़ाने का काम कर रही है।
विश्वविद्यालय की मूल्यांकन पद्धति पर सवाल उठाते हुए कहा है कि एक ही वर्ष में परिणाम का प्रभावित होना कही ना कही मूल्यांकन पर भी संदेह उत्पन्न करता है ,छात्रहित को ध्यान में रखकर विश्वविधालय को आगामी एवं घोषित परिणामों पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।