Education Special Story अव्यवस्था विभागीय भ्रष्टाचार

आज भी अबूझमाड़ के बच्चे को नही मिल पा रहा है उचित मूलभूत सुविधाएं युक्त शिक्षा, पुराने घोटुल में आज भी पढ़ने को मजबूर, केवल मध्यान्ह भोजन केंद्र बनकर रह गया स्कूल

न्यूज़ बस्तर की आवाज़@ जिला नारायणपुर/ जिला मुख्यालय नारायणपुर से महज 60 कि.मी. दूरी पर स्थित है विकासखंड ओरछा जिसे अबूझमाड़ के नाम से जाना जाता है, ओरछा मुख्यालय मुख्य मार्ग से मात्र 4 कि.मी. की दूरी पर ग्राम पंचायत रायनार के झोरी गाँव के बच्चों को आजादी के 75 वर्ष के बाद भी मूलभूत शिक्षा हेतु स्कूल भवन यहां पर उपलब्ध नहीं हो पाया है, 15 से 20 बच्चों की शिक्षा हेतु लगाया जा रहा है घोटूल पर स्कूल। इस स्कूल में ना तो भवन की सुविधा है ,ना ही पर्याप्त शिक्षक । कक्षा पहली से पांचवी तक की केवल एक पॉलिथीन से बने हुए छावनी के झोपड़ी पर स्कूल संचालित किया जा रहा है। तथा सुविधा के नाम पर सिर्फ मध्यान्य भोजन की व्यवस्था और कुछ भी नहीं ।

पांचवी के बच्चों को अपना नाम भी ठीक से लिखने में कठिनाई आ रही है । शिक्षक के नाम पर मात्र एक ही शिक्षक मांझी ही है, जो कांकेर जिले में रहते है, वो भी कभी-कभी ही वहां पहुंच पाते हैं । सारा कार्यभार मध्यान्य भोजन बनाने वाले फोबे, चपरासी बुधू के ऊपर है । अबूझमाड़ में इस विषम परिस्थिति में भी स्कूल संचालित किया जा रहा है।

स्कूल में छात्रों को मूलभूत सुविधा युक्त शिक्षा तो उपलब्ध होना तो दूर की बात है, स्कूल में ना बच्चों के लिए ब्लैक बोर्ड है और ना ही बच्चों के बैठने के लिए दरी की व्यवस्था,जहाँ बच्चे केवल मध्यान्ह भोजन करने स्कूल आते है।

स्कूल में शौचालय का उपयोग मध्यान्ह भोजन के स्टोर के रूप में उपयोग में किया जा रहा है जहां पर स्कूल के समस्त सामग्री वगैरह रखा जाता है जो भी काफी जर्जर हो चुका है,स्कूल में पढ़ाई तो बिल्कुल नही के बराबर होती है, पढ़ाई का स्तर इससे ही पता चल रहा है कि स्कूल में अध्यनरत छात्र जो कि कक्षा 5 वी में है जिनके द्वारा अपने नाम लिखने में असमर्थता जताई गई,जब बच्चों से इसका कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमें नाम लिखना नहीं आता स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों एवं पलको द्वारा यह भी जानकारी दी गई की बच्चों के पहली से चौथी कक्षा में पास होने के बाद से अंकसूची नहीं दिया जाता है सीधे पांचवी के बाद अंकसूची दिया जाता है जिनके कारण बच्चों को दूसरे स्कूल में एडमिशन कराना पालकों के लिए चुनौती साबित होता है जिसके कारण बच्चों को प्राथमिक शिक्षा के लिए गांव की स्कूल में ही मजबुरन पढ़ाना पड़ता है पलकों से जब इस संबंध में चर्चा किया गया तो पालको द्वारा जानकारी दी गई कि अभी गांव के एक बच्चे का एडमिशन क्लास छठवीं में दूसरे विद्यालय में कराया गया तो जो की 12 वर्ष का था जिसकी प्राथमिक शिक्षा अज्ञानता के कारण उसे स्कूल द्वारा पुनः कक्षा पहली में भर्ती कराया गया ऐसी स्थिति में बच्चों के पालकों द्वारा बच्चों के भविष्य अंधकार में जाते हुए देख उन्हें स्कूल भेजना उचित नहीं समझते, जिसके कारण बच्चे स्कूल जाना छोड़ पालको के साथ घर का काम में हाथ बटाते है एवं खेतों में काम कर अपना दैनिक जीवन यापन करते हैं साथ ही मवेशी चराने ले जाते हैं।


शिक्षा विभाग द्वारा ग्राम झोरी की स्कूल को संचालित करने हेतु एक अतिरिक्त कक्ष का निर्माण कराया जा रहा है जिसकी अनुमानित लागत राशि 4 से 8 लाख रुपये बताई जा रही है,किंतु स्थानीय ठेकेदार द्वारा पुराने अधूरे जर्जर भवन को ही निर्माण कर अतिरिक्त कक्ष के रूप में निर्माण किया जा रहा है जो कि कभी भी धराशाई हो सकता है। इतनी राशि मे तो 3-4 कमरों का नया भवन का निर्माण कराया जा सकता था। लेकिन निर्माण कार्य मे भी ठेकेदार द्वारा भ्रष्टाचार करने में बच्चों के स्कूल को नही छोड़ा गया।

जब इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी राजेंद्र झा से चर्चा की गई तो उनके द्वारा कहा गया कि यह पूरा मामला आपके माध्यम से मुझे संज्ञान में आया है मैं इनका जांच कर आवश्यक उचित कार्यवाही करूंगा एवं स्कूल के भवन हेतु एक अतिरिक्त कक्ष का निर्माण कराया जा रहा है जो कि जल्द ही पूर्ण कर लिया जाएगा।

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