अनिश्चितकालीन हड़ताल

मेंहदी लगाकर संविदा कर्मचारियों ने मांगे नियमितिकरण

न्यूज़ बस्तर की आवाज़@नारायणपुर 04/07/2023_ छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के बैनर तले जिले के सभी विभागों में कार्यरत संविदा कर्मचारी साढ़े चार साल बाद भी जन घोषणा पत्र में किए गए सरकार के वादे संविदा कर्मचारियों के नियमितिकरण को पूरा नहीं होने के कारण हड़ताल पर हैं। विगत माह 3000 किलोमिटर की रथयात्रा पूर्ण कर संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण नहीं होने के संबंध में 33 जिला कलेक्टर, विधायकों को ज्ञापन सौंपा है। इसके बाद भी सरकार द्वारा संवादहीनता की स्थिति निर्मित करने के कारण प्रदेश के 45 हज़ार संविदा कर्मचारी 03 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है, आज दूसरे दिवस संविदा कर्मचारियों ने मेंहदी लगाकर नियमितिकरण की आवाज बुलंद किए है।
प्रांताध्यक्ष कौशलेश तिवारी ने बताया कि सरकार ने हम संविदा कर्मचारियों से 2018 के चुनाव के जनघोषण पत्र के बिंदु क्रमांक 11 में नियमितिकरण का वादा किया था । परन्तु सरकार द्वारा 4 साल 6 माह बीत जाने के बाद भी वादा कर पूरा न करना यह गैर लोकतांत्रिक हैं।

सर्व विभागीय संविदा कर्मचारियों के अनिश्चित कालीन हड़ताल का आज दूसरा दिन

जिला अध्यक्ष सुदर्शन मंडल ने कहा कि इन साढ़े चार साल में सरकार की तरफ से संवादहीनता की स्थिति है । रथयात्रा में 33 जिला कलेक्टर को और कई कांग्रेस मंत्रीगण , विधायकों एवं जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देने के बाद भी संवाद कायम नहीं किया गया यह लोकतंत्र में चिंताजनक एवं दुखद है। सरकार के खिलाफ कर्मचारियों में बेहद आक्रोश व्याप्त है।


महासंघ के ज़िला सचिव जीवन लाल ने बताया कि, कांग्रेस के कई बड़े नेता के अलावा सरकार के मुखिया के नाते माननीय मुख्यमंत्री महोदय विधानसभा में या अन्य मीडिया माध्यमों में नियमितीकरण की अपनी बात तो कहते हैं किंतु आज तक इस पर किसी भी प्रकार का ठोस अमल नहीं किया गया । महासंघ ज़िला उपाध्यक्ष श्रीमती किरण नैलवाल ने कहा कि विगत साढ़े 04 वर्षों से विभिन्न आवेदन, निवेदन एवम मुलाकात के माध्यम से सरकार को संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की मांग से अवगत करवाते रहे हैं। किंतु सरकार के द्वारा इस मांग पर कोई विचार नहीं किया गया, बल्कि सरकार के द्वारा संवाद हीनता की स्थिति बनी हुई हैं। ऐसा लग रहा है मानो सरकार स्वयं संविदा कर्मचारियों को अनिश्चिकालीन आंदोलन के लिए विवश किए हैं। इनके आंदोलनरत होने से स्वास्थ्य, पंचायत, शिक्षा, महिला बाल विकास विभाग, कृषि विभाग, कलेक्टर कार्यालय आदि में काफी प्रभाव पड़ रहा है, जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।।

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