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छत्तीसगढ़ स्वामी आत्मानंद संविदा शिक्षक एवं कर्मचारी संघ के बस्तर संभाग अध्यक्ष एवं गणित व्याख्याता राहुल कुमार पांडेय ने राज्य के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय को एक सुझाव पत्र प्रेषित किया है, जिसमें शासकीय स्कूलों के पाठ्यक्रम में रामायण, श्रीमद्भगवद्गीता और भगवान गौतम बुद्ध के नैतिक एवं प्रेरणास्पद प्रसंगों को शामिल करने की मांग की गई है।

रामायण-गीता-बुद्ध पाठ्यक्रम में हों शामिल: राहुल कुमार पाण्डेय जगदलपुर |

 

छत्तीसगढ़ स्वामी आत्मानंद संविदा शिक्षक एवं कर्मचारी संघ के बस्तर संभाग अध्यक्ष एवं गणित व्याख्याता राहुल कुमार पांडेय ने राज्य के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय को एक सुझाव पत्र प्रेषित किया है, जिसमें शासकीय स्कूलों के पाठ्यक्रम में रामायण, श्रीमद्भगवद्गीता और भगवान गौतम बुद्ध के नैतिक एवं प्रेरणास्पद प्रसंगों को शामिल करने की मांग की गई है।

उन्होंने पत्र में बताया कि उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात व दिल्ली जैसे राज्यों में पहले से ही इन ग्रंथों के अंशों को शिक्षा का हिस्सा बनाया गया है, जिससे विद्यार्थियों में आत्मबल, अनुशासन और नैतिक चेतना जैसे गुणों का विकास हो रहा है। छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, विशेषकर भगवान राम से जुड़ा इसका ऐतिहासिक संबंध, इसे और भी प्रासंगिक बनाता है। बस्तर अंचल की जनजातीय संस्कृति भी रामकथा से गहराई से जुड़ी रही है।

मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रारंभ “समर कैंप” जैसी पहल की सराहना करते हुए श्री पांडेय ने कहा कि वर्तमान सरकार बच्चों के सर्वांगीण विकास को लेकर सकारात्मक और दूरदर्शी दृष्टिकोण रखती है। इसी क्रम में मूल्य आधारित शिक्षा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना समय की मांग है।

 

उन्होंने इस बात पर बल दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तुत “विकसित भारत 2047” की परिकल्पना तभी साकार हो सकती है जब नई पीढ़ी को नैतिकता, विवेक और कर्तव्यबोध से परिपूर्ण शिक्षा मिले। रामायण, गीता और बुद्ध के विचार आधुनिक भारत के मानसिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के लिए अत्यंत उपयोगी हैं।

पत्र में उल्लेख है कि इस बदलाव से छात्रों में आत्मविश्वास, संवाद कौशल, मानसिक संतुलन और सामाजिक समरसता जैसे गुणों का विकास होगा, साथ ही आदिवासी छात्रों में सांस्कृतिक गर्व की भावना भी जागेगी।

हिंदी व्याख्याता संतोष शुक्ला ने आशा जताई है कि मुख्यमंत्री इस सुझाव पर सकारात्मक विचार करेंगे और शिक्षा में नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाएंगे।

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