नक्सलवाद

नक्सलियों ने दी खुली चेतावनी, कहा- कांग्रेस-भाजपा के नेताओं को मार भगाओ

बस्तर। छ्त्तीसगढ़ के बस्तर में माओवादियों ने इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव का बहिष्कार किया है। माओवादी लीडर्स ने वोट मांगने आने वाली कांग्रेस-भाजपा पार्टी के नेताओं को मार भगाने की बात कही है। साथ ही कहा है कि, जो पहले BJP में थे वे अब कांग्रेस में जा रहे और जो कांग्रेस में थे वे BJP में जा रहे हैं। पार्टियों में इस तरह का उलट-पलट हो रहा है। इसके अलावा माओवादियों ने केंद्र और राज्य सरकार की नाकामी भी गिनाई है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने से पहले पार्टी के घोषणा पत्र और उसमें कितने काम नहीं हुए हैं उसे बताया है। साथ ही केंद्र की भाजपा सरकार पर ED, NIA का गलत उपयोग करने की बात कही है। माओवादियों की पश्चिम बस्तर डिवीजन कमेटी के प्रवक्ता मोहन ने प्रेस नोट जारी कर आरोप लगाए हैं।

मोहन ने प्रेस नोट के माध्यम से कहा कि, कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में शराबबंदी की बात कही थी। लेकिन, सरकार बनने के बाद भी शराब बंद नहीं हुई। क्योंकि सरकार को शराब से सालाना 6500 करोड़ रुपए का मुनाफा होता है। इसके अलावा बेरोजगारों को 2500 रुपए बेरोजगारी भत्ता देने को कहा था। सरकार बने साढ़े 4 साल का वक्त हो गया है। मगर बेरोजगारी भत्ता नहीं दिया गया है। साथ ही तेंदूपत्ता की राशि भी नहीं बढ़ाई गई है। पूरे बस्तर में 54 से ज्यादा पुलिस कैंप स्थापित किए गए हैं। नक्सली मोहन ने कहा कि कांग्रेस  सरकार में जल-जंगल-जमीन की लड़ाई करने वाले आदिवासियों की पिटाई करवाई गई, उनपर लाठीचार्ज किए गए हैं। बिना ग्राम सभा के कैंप, सड़क-पुलिया बनाए गए हैं। हवाई बमबारी, गोलियां चलाना यह आमबात हो गई है। नक्सलियों ने चुनाव का बहिष्कार किया है।

नक्सली नेता मोहन ने कांग्रेस सरकार के अलावा केंद्र की भाजपा सरकार पर भी कई आरोप लगाए हैं। प्रेस नोट के माध्यम से मोहन ने कहा कि, भाजपा का सिर्फ एक ही मकसद है कि पूरे देश को हिंदू राष्ट्र बनाना है। केंद्र सरकार ED, NIA जैसी संस्थानों का गलत इस्तेमाल कर रही है। प्राकृतिक संपदा को बड़े कॉरपोरेट घरानों के हवाले किए जा रहे हैं। जिसका माओवादी पार्टी विरोध कर रही है। नक्सलियों के इस प्रेस नोट में नेताओं को मार भगाने की बात लिखी गई है। नक्सली लीडर्स का कहना है कि, चाहे कांग्रेस हो या भाजपा जिस भी पार्टी के नेता वोट मांगने आएं। उन्हें मार भगाया जाए। अब बस्तर के नेताओं को चुनाव के समय प्रचार करने का भी खौफ रहेगा।

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